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Shri Gajainder Yadav

Thursday, April 22, 2010

मंहगाई रेली - मुह छुपता मीडिया

२१ अप्रेल २०१० -दिल्ली में एक एतिहासिक कार्यकर्म हुआ नाम रहा ''मंहगाई रेली -संसद चलो'' देखते ही देखते गडकरी जी के आव्हान पर भारी संख्या में जो लगभग लाखो में रही स्टार ने लाख बताई और दूरदर्शन ने ३-५० लाख मुझे गर्व है दूरदर्शन के अधिकारियो पर जिनको ३-५० लाख लोग दिखयी दे गए वर्ना ये अगर इंदिरा जी के राज में होता तो शायद उन्हें रेली भी नहीं दिखाई देती ?शायद इस काम में सोनिया और कोंग्रेस दोनों पीछे रह गए और अब शामत आई होगी दूरदर्शन वालो की आखिर सरकारी चैंनल जो है मिनिस्टरो से डांट खानी पड़ी होगी बेचारो को की ३-५० लाख लोग शामिल हो गए ये भी क्यों बताया गया ......
मै बधाई देता हु स्टार को जिसने हिम्मत करी जनता की पीड़ा सुनने की कम - से कम ५ लाख लोग इक्कठे हुए ये बताया तो नहीं तो और चैनलों में तो हिम्मत ही नहीं थी सच को सच कहने की अंधे हो जाते है सारे जब भी बी जे पी का कोई सफल कार्यकर्म हो.........हो भी क्यों न सारा का सारा मीडिया सरकार से करोडो के ऐड लेने में जो लगा है और मुझे सिर्फ ऐड का मामला नहीं लगता उससे जरा हट कर कहू तो सारा मीडिया है ही या तो कोंग्रेसी या वामपंथी ...
मित्रो मेरी बात पर गोर करे अगर कोंग्रेस या वामपंथी ५० हजार भी इक्कठे कर लेते तो ये ही चैंनल वाले एक हफ्ते पहले और रेली के एक हफ्ते बाद तक मंहगाई सीरिज चलाते और इनके गुणगान का भोपू बजाते रहते क्योंकि सब के सब बीके हुए है कहते है हम सच दिखाते है और सच दिखने की हिम्मत नहीं है जिस बात पर इनको फक्र होना चाहिए था ''कम से कम जनता की सुध लेते हुए गडकरी जी के आव्हान पर लाखो की संख्या में लोग दिल्ली पहुंचे ''ये सच में फक्र की बात है पर मित्रो फक्र तो दूर की बात है इन्होने सच को भी छिपाने की कोशिश की ।
सारा भारत आज मंहगाई युद्ध की तरह लड़ रहा है देश में अनगिनत चुनाव लड़ने वाली पार्टिया भरी पड़ी है क्या आज तक किसी ने सुध ली नहीं और अगर कोई ले तो ये मीडिया उसका कचूमर निकल देती है
दिसम्बर में गडकरी जी का राष्ट्रिय अध्यक्ष के तोर पर आना और मात्र तीन माह के छोटे से समय में इतनी बड़ी संख्या में रामलीला ग्राउंड में पहुचना अपने आप में तारीफ वाला काम था जो बी जे पी और रणनीतिकारो (रामलाल जी , अनंत कुमार,धर्मेन्द्र प्रधान,विजय गोयल ,आरती महरा ) और दिल्ली से ओ पी कोहली ,विजय शर्मा ,नन्द किशोर गर्ग ,रमेश बिधुदी , बिजेंदर गुप्ता ,जो पिछले एक महीने से relii पूर्व योजना और पूर्ण योजना के लिए अपनी रातो की नींद और अपना काम छोड़कर इसी में लगे थे सिर्फ इस लिए क्योंकि उन्हें देश में मंगाई की मार झेल रहे एक एक आदमी का दुःख दर्द समझ आता है
मीडिया को पूरी रेली के दोरान कोई कमी नजर नहीं आई हर जगह कार्यकर्त्ता बड़ी सादगी के साथ इक्कठे होकर आगे बढ़ रहे थे कोई नुक्सान नहीं सरकारी चीजो का (५ आदमी इक्कठे बस में जाये वो भी स्टाफ चलाते है) और लाखो में आने पर भी कोई गड़बड़ नहीं की ये शायद साबित करने के लिए काफी है की देश में अगर कोई अनुशाषित पार्टी है तो वो बी जे पी है और ये अनुशाशन आर एस एस के सिवा कंही और से मिलता नहीं दीखता बी जे पी कार्यकर्ताओ ने साबित किया की वे अनुशाषित भी है और संगठित भी मगर नहीं मीडिया को ये सब दिखाई नहीं देगा आँखों पर पट्टी है ऐड की क्या करे ..........न्याय की मूर्ति के हाथ में तराजू और आँखों पर पट्टी होती है और मीडिया की कोई मूर्ति बनेगी तो कंधे पर कैमरा और आँखों पर पट्टी लगी होगी
मीडिया वालो पर शर्म आती है जो अपने आप को लोकतंत्र का चोथा स्तम्भ कहते है और काम ये करते है अगर इसी पर व्यंग करू तो कुछ ऐसे होगा ........
सोनिया गाँधी(गब्बर सिंह)-कितने आदमी थे
मीडिया कर्मी(साम्भा )-सर्कार लाखो
सोनिया -फिर भी गलत खबर लिए वापस आ गए थू धिक्कार है तुम पर
शायद यही सोच रहे थे तभी उनको मोका मिला जो किसी के साथ भी हो सकता है आखिर इन्सान हाड मांस का पुतला है की गडकरी जी को चक्कर आ गए बस फिर क्या था जो मीडिया शुरू हुआ है मानो मीडिया के जान में जान आ गयी हो लगे चैनल में बी जे पी नेताओ को कोसने ''ये तो सुविधा भोगी नेता है'' जाने क्या क्या
लेकिन सच बात तो ये है जो मैसेज बी जे पी और गडकरी जी पुरे देश की जनता को देना चाहते थे वो देने में वो सफल रहे और मीडिया जो मैसेज देना चाहती थी उसमे वो सफल नहीं हो सकी .......दोस्तों ऐसे नेता जो लोकहित में रात रात जाग कर काम करने की छह रखते है भगवन उन्हें और लम्बी उम्र दे ..........

5 comments:

  1. हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

    वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.

    डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!

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  2. बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  3. आपने बिलकुल ठीक कहा है । आजादी के बाद से जितने भी अखबार निकले उनमें ९५ प्रतिशत अखबारों के मालिक कांग्रेसी विचारधारा से प्रभावित थे। ज्यादा सर्कुलेशन वाले तमाम समाचार पत्र कांग्रेसी खेमे से संबद्ध रहे। ये लोग सरकारी विग्यापनों को हडपने में हमेशा अव्वल रहे हैं तो फ़िर ऐसे मीडिया से दिल्ली में भाजपा के मेंहगाई विरोधी जन सैलाब की सटीक खबर की अपेक्छा करना ही बेमानी है।

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  4. आप हिंदी में लिखते हैं। अच्छा लगता है। मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं..........हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत हैं.....बधाई स्वीकार करें.....हमारे ब्लॉग पर आकर अपने विचार प्रस्तुत करें.....|

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